सूचनाः-

सूचनाः- ये ब्लॉग 10 नवंबर 2014 को खुलासों की दुनिया के साथ बदल दिया जाएगा क्योकि बहुत साड़ी एक जैसी पोस्ट होने के कारण पाठकों को दिक्कत होती है। 10 नवंबर 2014 से हमारे ये ब्लॉग होंगे :- हिंदुत्व की आवाज @ www.savdeshi.blogspot.com
खुलासो की दुनिया @ www.fbkidunia.blogspot.com
विज्ञानं और तकनिकी जानकारी @ www.hindivigyan.blogspot.in

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सोमवार, 29 सितंबर 2014

सभी खुलासे एक ही जगह।

दोस्तों अभी तक यहाँ पे जो भी जानकारी दी गई है वो सभी इंटरनेट के माध्यम से इक्क्ठा की गई हैं। लेकिन अब हम विकिलीक्स की तर्ज पर इंडिया लीक्स आरम्भ करने जा रहे हैं। जो मित्र सहयोग करना चाहता है वो अपनी मेल आई डी कमेंट में छोड़ सकता है। और इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको अभी तक के सभी खुलासों के लिंक दे रहे हैं। आप जिस भी जानकारी को जानना चाहते है उसके लिंक पे क्लिक करिये और जानिये आखिर आप से सरकार ने क्या और क्यों छिपाया है। अगर अच्छा

गुरुवार, 18 सितंबर 2014

हिंदी को जन जन तक पहुचाने का एक प्रयास।


हम हिंदुस्तानी हैं और हिंदी हमारी मातृ भाषा है। और दोस्तों अब समय ऐसा है के हमारा हिंदी पर गर्व 8 गुणा बढ़ गया है क्युकी हमारे देश के प्रधानमंत्री भी हिंदी भाषा पर जोर दे रहे हैं। हो भी क्यों ना आखिर हिंदी हिन्दुंस्तान का दिल जो है। और इसी दिशा में मैंने भी एक कदम बढ़ाया है और आप लोगो के सामने कुछ जानकारियां हिंदी भाषा में प्रस्तुत करने की कोशिश की हैं। तो चलिए इन सब पे रोशनी डालते हैं के आपको कहा पे कौन-कौन सी जानकारी मिलेगी।जो लिंक है वो आपको नीले रंग में दिखाई देगा। और उस पे क्लिक करके आप सम्बंधित ब्लॉग पर पहुंच जायेंगे जहा पे आपको बेहद अनूठी और रोमांचक जानकारी हिंदी में मिलेगी। 


1. भारत की जनता से ये सब क्यों छिपाया गया ? - दोस्तों ये यही ब्लॉग है जिस पर आप अभी ये जानकारी पढ़ रहे हैं लेकिन में आपकी मेहनत को थोड़ा काम करके सभी लिंक यही दे देता हूँ। सबसे पहले तो ये बताता हु के आखिर ये ब्लॉग है किस विष्य में। हम सभी जानते हैं के

सोमवार, 1 सितंबर 2014

ऐसे लोगो को बनाओ देश का कर्ता धर्ता ......!

स्विसपत्रिका
Schweizer Illustrierte
के 11 नवंबर 1991 में जरी संस्करण के अनुसार, उस समय राहुल गाँधी के नाम से एक अकाउंट में दो बिलियन अमेरिकी डालर जमा थे जिसका संचालन सोनिया गाँधी किया करती थी! 2006 में स्विस बैंकिंग एसोसिएशन कि एक रिपोर्ट से पता चला कि भारतीय नागरिकों के संयुक्त जमा अभी

1975 - 1977 इमरजेंसी का सच .....!


अब उस इमरजेंसी की बात करते हैं जिसे इंदिरा गाँधी ने भारत में घोषित कर दिया था!
 
इसका कारण कुछ और ही था! हुआ ये कि 12 जून 1975, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पाया कि इंदिरा गाँधी ने अपने चुनाव अभियान के दोरान सरकारी मशीनरी का जमकर दुरूपयोग किया था और इसके लिए उसे दोषी करार दे दिया गया! उच्च न्यायालय ने इंदिरा गाँधी के उस चुनाव को अवैद घोषित कर दिया और इंदिरा को लोक-सभा की सीट से हटा दिया ! यही नहीं अदालत ने इंदिरा गाँधी को 6 साल तक कोई भी चुनाव लड़ने पर प्रतिबंद लगा दिया! उधर जी पी की अगुवायी में देश ने

गाँधी परिवार की डिग्रिया.....!


अब इस खानदान की डिग्रियाँ देखिये ...............................
प्रधानमन्त्री बनने के बाद राजीव गाँधी ने लन्दन की एक प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में अपने-आप को पारसी की सन्तान बताया था, जबकि पारसियों से उनका कोई लेना-देना ही नहीं था,क्योंकि वे तो एक मुस्लिम की सन्तान थे जिसने नाम बदलकर पारसी उपनाम रख लिया था । हमें बताया गया है कि राजीव गाँधी केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के स्नातक थे, यह अर्धसत्य है... ये तो सच है कि राजीव केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में मेकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र थे, लेकिन उन्हें वहाँ से बिना किसी डिग्री के निकलना पडा था, क्योंकि वे लगातार तीन साल फ़ेल हो गये थे... लगभग यही हाल सानिया माईनो का था...हमें यही बताया गया है कि वे भी

फिरोज गाँधी का इतिहास

अब चलते है राजीव गाँधी के
पिता फिरोज गाँधी के इतिहास के बारे मैं कुछ जानने ....................अपनी पुस्तक "द नेहरू डायनेस्टी" में लेखक के.एन.राव लिखते हैं....ऐसा माना जाता है कि जवाहरलाल, मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे और मोतीलाल के पिता का नाम था गंगाधर । यह तो हम जानते ही हैं कि जवाहरलाल की एक पुत्री थी इन्दिरा प्रियदर्शिनी नेहरू । कमला नेहरू उनकी माता का नाम था, जिनकी मृत्यु स्विटजरलैण्ड में

इंदिरा गाँधी की मौत शायद एक षड्यंत्र

अब ज़रा इस परिवार के अन्दर के षड्यंत्रकारियों और सत्ता हथ्याने की उनकी चालाकियों के बारे में जान लिया जाये!

इंदिरा गाँधी को बेशक गोलिया मरी गयी थी लेकिन उनकी मृत्यु उनके दिल या दिमाग को गोलियां द्वारा बेधने से नहीं हुई, बल्कि बहुत ज्यादा खून बह जाने के कारण हुई थी! जब इंदिरा गाँधी को गोली लग चुकी थी तब सोनिया गाँधी ने

कौन किसका बेटा है और किसका बाप कौन है

अब बात करते हैं इस परिवार के उस झोल-झाल की जो आपने किसी हिंदी सिनेमा में भी नहीं देखा होगा! कौन किसका बेटा है और किसका बाप कौन है! शायद इन्हें खुद भी नहीं पता होगा! अब इंदिरा गाँधी को हुए दो बेटे! राजीव गाँधी और संजय गाँधी!

संजय गाँधी का असली नाम

रखा गया था संजीव गाँधी! (राजीव के नामके साथ तुकबंदी वाला, जैसे पहले नाम रखा करते थे लोग !)

अब संजीव से संजय बनने के पीछे भी रोचक कहानी है!
अब हुआ ये की जो ये संजीव गाँधी था, ये ब्रिटेन के अन्दर कार चोरी

नेहरु परिवार के आदरणीय लोगो का चरित्र चित्रण !

अब ज़रा इस परिवार के बहुत ही ज्यादा आदरनीय लोगो के चरित्र पर प्रकाश डालता हूँ !

भारतीय सिविल सेवा के एम ओ मथाई जिन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी सचिव के रूप में भी कार्य किया. मथाई जी ने एक पुस्तक “Reminiscences of the Nehru Age”(ISBN-13: 9780706906219) 'लिखी !
किताब से पता चलता है कि वहाँ जवाहर लाल नेहरू और माउंटबेटन एडविना (भारत, लुईस माउंटबेटन को अंतिम वायसराय की पत्नी) के बीच गहन प्रेम प्रसंग था..
ये प्रेम सम्बंद इंदिरा गांधी के लिए महान शर्मिंदगी का एक स्रोत था! इंदिरा गाँधी अपने पिता जवाहर लाल नेहरु को इस सम्बंद के बारे में समझाने हेतु मोलाना अबुल

भारत पर राज करते एक परिवार का सच-एक अनसुलझी पहेली!


भारत को आजाद हुए 64साल हो चुके हैं! और इन सालों में ज्यादातर समय तक एक ही वंश ने शासन किया है! वो वंश है भारत के पहले प्रधानमंत्री का! लेकिन आज देश का एक बहुत बड़ा तबका इस खानदान पर सवाल खड़े कर चूका है! आइये जानते हैं इसी वंश से जुडी कुछ संदेहास्पद बातों के बारे में!

कहानी शुरू होती है जवाहर लाल के पड़-दादाओं से! इनमे दो नाम विशेष रूप से लेना चाहूँगा!
एक तो था राज कौल जिसके बाप

कंधार विमान अपहरण का सच (1999 - 2000 ) भाग 1


दोस्तों पिछले दिनों मुझे  एक  डॉक्युमेंट्री देखने का अवसर  मिला.. डॉक्युमेंट्री भारत कि एयर इंडिया के विमान IC-814 के अपहरण  के ऊपर  थी..!हम सभी उस अपहरण  के बारे में जानते हैं.. लेकिन यकीन मानिये डॉक्युमेंट्री में विस्तार से दिखाए गए घटनाक्रम किसी रोचक कहानी से कम नहीं लगे मुझे.. जब ये अपहरण  हुआ था तब मेरी उम्र इतनी नहीं थी कि मुझे इन घटनाओं कि
गंभीरता का पता हो!  तो IC-814 के अपहरण के बारे में ही विस्तार से बताने कि कोशिश करूँगा,,
बात है क्रिसमस की एक पूर्व शाम